आदरणीय मुख्य न्यायाधीश हाफ़िज़ व क़ारी क़ुतुबुश्शोअरा हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी

 

आदरणीय मुख्य न्यायाधीश  हाफ़िज़ व क़ारी क़ुतुबुश्शोअरा हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी  मदज़िल्लहुल आली वन्नूरानी  संस्थापक एवं संपादक: “बज़्म-ए-शेर-ओ-शायरी” (अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संगठन)



🌺 परिचय 🌺


आदरणीय मुख्य न्यायाधीश

हाफ़िज़ व क़ारी क़ुतुबुश्शोअरा हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी

मदज़िल्लहुल आली वन्नूरानी

संस्थापक एवं संपादक: “बज़्म-ए-शेर-ओ-शायरी” (अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संगठन)


अलहम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन!

वह मुबारक हस्ती जिन्हें अल्लाह तआला ने एक साथ दीन (धर्म) और अदब (साहित्य) दोनों दुनियाओं की बुलंदियों से नवाज़ा — वे हैं हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी (मदज़िल्लहुल आली वन्नूरानी)।


आप हाफ़िज़-ए-क़ुरआन, क़ारी-ए-क़ुरआन, आशिक़-ए-रसूल ﷺ हैं,

और अदबी दुनिया में आपको “क़ुतुबुश्शोअरा” (कवियों के मार्गदर्शक) के ख़िताब से जाना जाता है।


आपकी शायरी में इश्क़-ए-रसूल ﷺ की गर्मजोशी, तसव्वुफ़ (सूफ़ियाना) की नर्मी, रूहानियत की ख़ुशबू और अख़लाक़ व इंसानियत का ऐसा सुंदर संगम है जो दिलों को रोशन कर देता है।


अब तक आपने लगभग पाँच सौ (500) से अधिक रचनाएँ — हम्द, नात, मुनक़बत, ग़ज़ल और नज़्म — क़लमबंद की हैं।


आपके अशआर सिर्फ़ काग़ज़ पर नहीं, बल्कि दिलों पर लिखे जाते हैं;

और अनेक किताबों व वेबसाइटों की शोभा बढ़ाकर, आपको अदबी हल्कों से बेपनाह सराहना मिली है।


अदबी दुनिया में आप सिर्फ़ एक ऊँचे दर्जे के शायर नहीं, बल्कि एक दूरअंदेश रहनुमा (मार्गदर्शक) भी हैं।

आप “बज़्म-ए-शेर-ओ-शायरी” नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के संस्थापक व संपादक हैं — वह संस्था जो पूरी दुनिया के शायरों व अदब-प्रेमियों को इश्क़ व फ़न की डोर में बाँध रही है।


कई अदबी संगठनों में आपको उस्तादुश्शोअरा का दर्जा हासिल है,

जहाँ आपकी इस्लाही राय नई नस्ल के शायरों के लिए मशाल-ए-राह (प्रेरणा स्रोत) बनी हुई है।


आपकी फ़नी (तकनीकी) सूझबूझ का इज़हार उस समय और निखर कर सामने आया

जब आपको “बज़्म-ए-हज़ूर आफ़ताब-ए-मिल्लत” द्वारा आयोजित इनामी मुशायरे में जज के ओहदे पर नियुक्त किया गया।

यह ओहदा आपकी अदबी महानता, गहरी आलोचनात्मक दृष्टि और फ़न के उच्च मापदंड की खुली दलील है।


दीन की खिदमतों में भी आपका योगदान बेहद क़ाबिले-तारीफ़ है।

आपने इमामत के फ़र्ज़ अदा किए, और नई पीढ़ी की दीन की तालीम व तरबियत के लिए एक मदरसा क़ायम किया।

इस तरह आप न सिर्फ़ शायर बल्कि दाई-ए-ख़ैर और मुअल्लिम-ए-उम्मत के रूप में भी जाने जाते हैं।


हालाँकि आपका पेशेवर क्षेत्र टाइल व पत्थर के निर्माण-फ़न से जुड़ा हुआ है,

लेकिन दिल व दिमाग आज भी क़ुरआन, ईमान और अदब के नूर से जगमगा रहे हैं।

आपका क़लम इश्क़ का बयान है, और आपकी तहरीर दिलों में ईमान की गर्मी जगा देती है।


आपकी शख़्सियत फ़िक्री गहराई, फ़नी नुक्ता-संजी और रूहानी वक़ार का सुंदर संगम है —

और आपका नाम अदब व नात के आसमान पर एक चमकते हुए “क़मर” की तरह रोशन है। 🌙




🌸 बज़्म-ए-हज़ूर आफ़ताब-ए-मिल्लत से संबंध 🌸


हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी, बज़्म-ए-हज़ूर आफ़ताब-ए-मिल्लत के सक्रिय सदस्य हैं।

नात-ए-रसूल ﷺ में आपकी प्रसिद्ध रचना “वो बशीर हैं, वो नज़ीर हैं” इस बज़्म की महफ़िलों की शान बन चुकी है।

आपकी रचनाएँ “गुलशन-ए-मदीना सरताजुल-उलूम दरियाबाद” की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हैं,

जहाँ अदब-प्रेमी उन्हें मोहब्बत व अकीदत से पढ़ते और सुनते हैं।




🌷 आपके कलाम की प्रमुख विशेषताएँ 🌷


नात-ए-रसूल ﷺ में जज़्ब व कैफ़ का अनोखा अंदाज़


हर शेर में इश्क़-ए-मुस्तफ़ा ﷺ की झलक और रूहानी मिठास


ज़ुबान में नर्मी, बयान में पाकीज़गी, एहसास में सच्चाई


पढ़ने वाले के दिल में मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ की लौ जगा देना



💫 हज़रत मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी का कलाम अल्फ़ाज़ का नहीं, इश्क़ का बयान है।

उनके अशआर पढ़ने वाला महसूस करता है कि जैसे हर मिसरा दुरूद की ख़ुशबू से महका हुआ है। 🌹



🌿 दुआएँ व शुभकामनाएँ 🌿

✍️ अज़ सैयद आफ़ताब आलम गोहर क़ादरी वाहिदी


अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त, हज़रत हाफ़िज़ व क़ारी क़ुतुबुश्शोअरा

मोहम्मद क़मर रज़ा सैफ़ी बरेलवी (मदज़िल्लहुल आली वन्नूरानी)

के इल्म व अमल, क़लम व सख़न, और इश्क़ व अकीदत में और बरकतें अता फ़रमाए।


उनके क़लम को हमेशा इश्क़-ए-मुस्तफ़ा ﷺ का तरजुमान बनाए रखे,

और उनके अशआर को मोमिनों के दिलों की रौशनी व ईमान की ताज़गी का ज़रिया बनाए।


अल्लाह तआला उनके मिशन “बज़्म-ए-शेर-ओ-शायरी” को दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी अता करे,

और उसे पूरी दुनिया में मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ के पैग़ाम के प्रसार का माध्यम बनाए।


दुआ है कि रब्बे करीम उन्हें सेहत, इज़्ज़त, हिम्मत और लम्बी उमर बख़ैर अता करे,

और उनके क़लम से हमेशा इश्क़ व इर्फ़ान की ख़ुशबू महकती रहे। 🌺


आमीन, बेजाहे सैयदुल मुरसलीन ﷺ 🌸

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